कवरेज कर रहे पत्रकार का मोबाइल छीना, फिर माफी मांगने पर मजबूर,
*जौनपुर:* प्राइवेट लाइनमैनो का हक खाने वाले इस अफसर की अकड़ तो देखिए। अपना हक मांगने पहुंचे लाइनमैनो को पहले उसने दुत्कार कर भागने की कोशिश की फिर इस मामले को कवर करने पहुंचे पत्रकार का मोबाइल फोन छीन लिया। ऐसा कर के उसने लाइनमैनो को यह संदेश देने की कोशिश की कि तुम्हारा हक भी खाऊंगा और तुम्हे बोलने भी नहीं दूंगा। तुम्हारी आवाज बनने के लिए अगर कोई मीडियाकर्मी आगे आया तो उसे भी उसका काम नहीं करने दूंगा। यह दफ्तर मेरा है, यहां का मालिक मै हूं। नियम कायदा और संविधान मेरे लिए नहीं है इस दफ्तर का मैं ही बॉस हूं। यहां मेरी ही मर्जी चलती है।
पत्रकार का मोबाइल फोन छीनने की सूचना पर जिले के अन्य मीडिया कर्मी भी बिजली विभाग के दफ्तर पहुंच गए। पत्रकारों से घिरता देख इस अफसर की अकड़ ढीली पड़ने लगी। पहले तो वह ऐसे पेश आया जैसे वह कोई सुपरमैन हो लेकिन जब पत्रकारों ने उसे नियम कायदों का ट्यूशन देना शुरू किया तो वह माफी मांगते हुए इस बला को टालने की कोशिश में लग गए।
दरअसल शहर की बिजली व्यवस्था प्राइवेट लाइनमैनो के भरोसे ही चल रही है। करीब 50 की संख्या में प्राइवेट लाइनमैन हाइडिल स्थित विद्युत निगम के दफ्तर पहुंचे थे। उनका कहना है कि छह महीने से उन्हें मानदेय नहीं दिया गया है। प्राइवेट लाइनमैनो का आरोप है कि काम उनसे लिया जाता है जबकि अधीक्षण अभियंता अपने कुछ खास लोगों की हाजिरी लगाकर उनके हिस्से का पारश्रमिक की धनराशि खुद हड़प ले रहे हैं। जिससे छह महीने से उन्हें कोई भुगतान नहीं मिला है।
इसी आरोप को लेकर लाइनमैन अधीक्षण अभियंता के दफ्तर पर प्रदर्शन करने पहुंचे थे। इस सूचना पर वरिष्ठ पत्रकार आशीष श्रीवास्तव भी पहुंच गए। आशीष प्रदर्शनकारियों का अपने मोबाइल फोन से वीडियो बना रहे थे तभी अधीक्षण अभियंता विवेक खन्ना ने उनका मोबाइल फोन छीन लिया। पत्रकार का मोबाइल फोन छीनने की सूचना मिलते ही जिले के अन्य पत्रकार भी मौके पर पहुंच गए। पहले तो उन्होंने वैसे ही अकड़ दिखने कि कोशिश कि जैसे नियम कायदा , अभिव्यक्ति की आजादी, संविधान का उनके लिए कोई मायने नहीं है लेकिन जब पत्रकारों ने उन्हें नियम कायदों का पाठ पढ़ाना शुरू किया तो शायद उन्हें गलती का एहसास हुआ और पत्रकारों से माफी मांगते हुए मामले को सुलझाने की कोशिश में लग गए।