चंदवक़ पुलिस की कार्यवाही से आम आदमी त्रस्त
चंदवक़ पुलिस की कार्यवाही से आम आदमी त्रस्त
चंदवक जौनपुर चंदवक पुलिस की कार्यवाही से आम फरियादी हलकान हो गए हैँ यहां पीड़ितों को न्याय मिलने के बजाय उल्टा दोहन का शिकार होना पड़ता है यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि चंदवक पुलिस की कार्यशैली को लेकर इस तरह की चर्चा पूरे क्षेत्र में होने लगी है लोगों की माने तो चंदवक थानाध्यक्ष को लगभग साल से इस थाने पर तैनात है दिन में वह कभी कभी ही थाने कैंपस छोड़कर बाहर निकलते हैँ वहीं पुलिस के गुड वर्क की यदि चर्चा करे करे तो चौबे बिल्डिंग मैटेरियल पर लगभग 9माह पूर्व 35 लाख की चोरी हुई थी जहां सी सी कैमरा भी लगा हुआ था किंतु आज तक उसे चोरी का कोई सुराग पुलिस लगाने में नाकाम रही है वही दो माह पूर्व एचडीएफसी बैंक मित्र की सरेआम गोमती नदी पुल के नीचे गोली मारकर हत्या कर दी गई घटनास्थल पर तमंचा व कारतूस का खोखा भी बरामद हुआ यह हत्या क्यों और किस कारण से इस बाबत का पता आज तक पुलिस को नहीं चल पाया
विडंबना है कि छोटे मोटे लड़ाई झगडा कर के आने वाले लोगों को पुलिस शाम तक बैठाये रहती है और स्वार्थ सिद्ध न होने पर उन्हें देर शाम तक 151 मे पाबंद कर चालान भेज दिया जाता है यदि सोशलमीडिया अन्य संवाद सूत्र समाचार संकलन के लिए थाने मे जाते हैँ तो पुलिस उन्हें बैठा लेती है और उन्हें शांति भंग या घटिया आरोप लगाकर बंद कर देती है वही खबरो के संकलन के लिए पत्रकार थानो मे जाने से डरने लगे है
एक तरफ शासन की मंशा हैँ की पुलिस के कार्यशैली मे सुधार हो जिससे आम लोगो से अच्छा बर्ताव हो पर इस थाने मे पत्रकारों के साथ बदसलुकी के चर्चा का विषय बना हुआ हैँ
लम्बे समय से एक ही थाना अध्यक्ष का इस थाने पर तैनाती को लेकर लोगों पर काफी चर्चा है जहां पूरे जिले में पुलिस महकमे को ताश के पत्तों की तरफ फेंक दिया गया ऐसे में चंदवक थाने पर पुलिस अधीक्षक जी की नजरे इनायत काफी कुछ स्वयं बयां कर रही है आए दिन फरियादियों के साथ सदैव पुलिस की बदसुलुकी सुनने को मिलती रहती है पिछले हफ्ते जमीन संबंधित एक मामले में कागज की हेराफेरी के आरोप में घर से पुलिस उठाकर लायी पर आरोपियों को पुलिस डकैती की योजना बनाने के जुर्म में चालान कर न्यायालय भेज दिया
सवाल यह उठता है कि चंदवक पुलिस द्वारा न्याय की कौन सी प्रक्रिया है जिसके आरोप कुछ और हो कार्यवाही कुछ और
सब कुछ मिलाकर देखा जाए तो चंदवक पुलिस उच्च अधिकारियों की आदेश निर्देश की परवाह बिना किये बगैर अपने तरीके से कार्यवाही करते हैं जिससे आम आदमी त्रस्त है