जब देश में एक निशान और एक कानून रहे तो, आखिर पेंशन भोगियों में विभिन्नता क्यों,
जब देश में एक निशान और एक कानून रहे तो, आखिर पेंशन भोगियों में विभिन्नता क्यों,
विवरण के अनुसार देश में एक निशान (तिरंगा ध्वज) वह एक कानून (समान नागरिक संहिता) का जोर आजमाइश केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर किया जा रहा है, इसके लिए विधि विशेषज्ञों से मशवरा भी किया जा रहा है, फिर पेंशन को लेकर विभिन्नता क्यों रखी जा रही है, यहां तक कि अब देश में पेंशन प्रथा को खत्म कर दिया गया है, जो लोग देश सेवा में नौकरी खत्म होने के बाद केवल एक ही पेंशन देने की व्यवस्था दी गई है, वही सांसद विधायक जितनी बार चुने जाते हैं, सरकार चल पाए या ना चल पाए अथवा बीच में किन्ही कारणों से सरकार गिर जाती है, तो भी पेंशन के हकदार हो जाते हैं ,पक्ष विपक्ष में विचारों को लेकर संसद व राज्यसभा में गतिरोध होता रहता है, लेकिन सांसद विधायकों ने पारश्रमिक व पेंशन को लेकर कभी कोई विरोध नहीं जताया जाता बल्कि सर्वसम्मति से पास कर दिया जाता है, क्या इसपर देशवासियों द्वारा अंगुली उठाना न्याय संगत नहीं है ,यहां तक कि एक किसान के बेटे पर मुकदमा दर्ज हो तो उसका वीजा नहीं बन सकता, वही राजनेताओं के ऊपर 30से 40 मुकदमे दर्ज हो, फिर भी वह चुनाव लड़ सकता है, ऐसा क्यों, विधि विशेषज्ञों को इसपर ध्यान देकर ,उचित मार्गदर्शन करना चाहिए जिससे आम देशवासी सहमत हो सके।