दिन में तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग रोचक है मंदिर से जुड़ी ये कहा
*खबर विशेष*
दिन में तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग
रोचक है मंदिर से जुड़ी ये कहानी
कानपुर में मौजूद जागेश्वर मंदिर की कहानी अपने आप में चौंका देने वाली है, कैसे एक किसान की गाय ने भगवान के शिवलिंग को खोजा था और कैसे इस मंदिर का नाम जागेश्वर पड़ा.
कानपुर में एक ऐसा शिवलिंग है जो कि दिन में तीन बार रंग बदलता है. भक्त इसे भगवान भोलेनाथ का चमत्कार मानते हैं और मान्यता है कि यह शिवलिंग पूरी तरह से जाग्रत अवस्था में है. वहीं इस मंदिर की स्थापना के पीछे भी बहुत दिलचस्प कहानी है. एक मल्लाह की गाय ने इस शिवलिंग को ढूंढा था और उस पर अपना दूध चढ़ाया करती थी. यह चमत्कार देखकर ही इस शिवलिंग की खुदाई की गई और फिर मंदिर का निर्माण किया था.
दरअसल करीब 300 साल पहले जग्गा मल्लाह किसान की एक दुधारू गाय ने दूध देना अचानक से बंद कर दिया. किसान इस बात से चिंता में पड़ गया और एक दिन उसने गाय का पीछा करने का फैसला लिया. जग्गा मल्लाह जब गाय के पीछे गया तो देखा वह वह एक टीले पर अपना सारा दूध छोड़ रही है. इस चमत्कार को देखकर उससे रहा नहीं गया और उसने जाकर सभी गांव वालों को इस घटना के बारे में बताया.
*ऐसे की गई मंदिर की स्थापना*.
गांव वालों ने जग्गा मल्लाह की बात पर सच का पता लगाने के लिए उस जगह पर खुदाई शुरू की. मंदिर की खुदाई के वक्त वहां पर एक शिवलिंग मिला. इस शिवलिंग में खुदाई के दौरान खुरपी लग गई थी जिसका निशान आज भी शिवलिंग पर है. जब मंदिर की स्थापना हुई तो जग्गा मल्लाह बाबा भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त बन गया. जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम जागेश्वर मंदिर पड़ा. यह पुराण कानपुर इलाके में मौजूद है.
*तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग*.
ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग पूरी तरह से जाग्रत अवस्था में है. इतना ही नहीं यह दिन में तीन बार रंग भी बदलता है. इस चमत्कार को देखने दूर-दूर से लोग यहां पर पहुंचते हैं. वहीं सावन में यहां पर ऐतिहासिक मेला भी लगता है. बताया जाता है कि यहां पर मंदिर में स्थापित शिवलिंग सुबह के वक्त ग्रे रंग का दिखाई देता है, जबकि दिन में ब्राउन रंग का और रात के वक्त इस शिवलिंग का रंग पूरी तरह ते जेड ब्लैक दिखाई देता है.
*हर सावन पर लगता है मेला*..
बताया जाता है कि सावन के महीने में यहां पर विशेष मेले का आयोजन किया जाता है. भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर पहुंचते हैं और सुबह से ही भक्तों को तांता मंदिर में लग जाता है. इस बार भक्तों के लिए मंदिर के कपाट सुबह 3 बजे ही खोले जा रहे हैं, इसी वक्त से लोग बाबा का अभिषेक करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. मंदिर प्रशासन ने इस बार विशेष इंतजाम भी किये हैं. मंदिर के परम श्रीवास्तव बताते हैं कि मंदिर अर्धगोलाकार शैली में बना है.