नोटबंदी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का दखल, संविधान पीठ ने सरकार – RBI से जवाब मांगा

फिर जागा नोटबंदी का जिन्न, सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर तक मांगा केंद्र सरकार से जवाब

 

नोटबंदी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का दखल, संविधान पीठ ने सरकार – RBI से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. इसी के साथ ही कोर्ट ने नोटबंदी को लेकर कई गंभीर सवाल भी किए हैं. 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे अचानक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था.

मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की संवैधानिक वैधता पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया. शीर्ष कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर बड़ा दखल देने का संकेत दिया है. जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर की अगुआई वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने केंद्र और RBI से नोटबंदी से फैसले पर जवाब मांगा है.

 

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में छह साल से पेड़ पर लटका नोटबंदी का बेताल फिर से सरकार के कंधे पर आ लटका है. कोर्ट ने सरकार से जवाब देने को कहा है.

 

अदालत ने केंद्र और RBI से 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले पर 9 नवंबर को होने वाली सुनवाई से पहले व्यापक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे अचानक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था.

 

*क्या सरकार के पास है नोटों को बंद करने का अधिकार*

पीठ ने केंद्र के 7 नवंबर 2016 को RBI के नाम लिखे पत्र और अगले दिन नोटबंदी के फैसले से संबंधित फाइलें तैयार रखने को कहा है. पीठ ने कहा है कि मुख्य सवाल यह है कि क्या सरकार के पास RBI अधिनियम की धारा 26 के तहत 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को बंद करने का अधिकार है? क्या नोटबंदी करने की प्रक्रिया उचित थी?

 

आने वाली पीढ़ियों के लिए तय हो सकता है एक कानून

चिदंबरम की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने के लिए 2016 से पड़ी 58 याचिकाओं को बाहर निकालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक कानून तय किया जा सकता है. संविधान पीठ का कर्तव्य है कि वो मुकदमे में उठे सवालों के जवाब तलाशे.

 

चिदंबरम के तर्क के बाद केंद्र से मांगा गया जवाब

बेंच शुरू में एसजी तुषार मेहता की इस टिप्पणी को स्वीकार कर याचिकाओं को निपटारा करना चाहती थी कि मामला निष्प्रभावी हो गया है और केवल अकादमिक हित रह गया था, लेकिन एक याचिकाकर्ता के वकील पी चिदंबरम ने कहा कि 1978 में नोटबंदी के लिए एक अलग कानून था. जब जनता पार्टी की केंद्रीय सरकार पहले अध्यादेश और फिर एक विधेयक संसद में लाई तब विधेयक को संसद ने कानून बना दिया, लेकिन अभी यह अकादमिक नहीं है. यह एक लाइव इश्यू है. हम इसे साबित करेंगे. यह मुद्दा भविष्य में बड़ा सिरदर्द हो सकता है.

इस दलील के बाद पीठ का प्रथम दृष्टया विचार था कि इस मुद्दे पर गहन जांच की जरूरत है. इसके बाद ही कोर्ट ने केंद्र और RBI से विस्तृत हलफनामा मांग लिया. यानी 2016 के नवंबर से ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने और नोटिस के बाद अछूती पड़ी याचिकाओं को अचानक कोर्ट ने कोल्ड स्टोरेज से निकाला और सरकार से जवाब तलब शुरू कर दिया.

क्रांति फाउंडेशन दूत न्यूज़ चैनल ब्यूरो चीफ जौनपुर प्रवीण कुमार गौतम

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