श्रीकाशी विश्वनाथ पहनेंगे खादी, चढ़ेगा तिलक, निकलेगी शोभायात्रा
श्रीकाशी विश्वनाथ पहनेंगे खादी,
चढ़ेगा तिलक, निकलेगी शोभायात्रा
*वाराणसी।* गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर श्रीकाशी विश्वनाथ का 358वां तिलकोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार खास बात यह है कि बाबा उस दिन स्वदेशी खादी परिधान धारण करेंगे। बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा को दूल्हे के रूप में तैयार किया जाएगा। गुरुवार को शाम 7 बजे लग्न के अनुसार, बाबा के तिलक की रस्में पूरी हो जाएंगी। तिलकोत्सव गुरुवार को भोर में 4 बजे मंगला आरती के बाद ही शुरू हो जाएगा।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के अनुसार, शिवमहापुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और स्कंधपुराण के प्रसंगों के आधार पर ही काशी में 358 साल से महादेव का तिलकोत्सव मनाया जा रहा है। विश्वनाथ गली में टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास पर गुरुवार को तिलक की पारंपरिक रस्में होंगी। पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया, बसंत पंचमी गुरुवार को बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलकोत्सव टेढीनीम महंत आवास पर होगा। बंसत पंचमी पर तिलकोत्सव के पूर्व भोर में 4 बजे से 4.30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की मूर्ति की मंगला आरती होगी। सुबह के 6 से 8 बजे तक 11 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं का पाठ होगा। बाबा का दुग्धाभिषेक करने के बाद फलाहार का भोग अर्पित किया जाएगा। दोपहर भोग आरती के बाद बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा का विशेष राजसी श्रृंगार के बाद शाम 5 बजे से प्रतिमा का दर्शन किया जा सकेगा।
लोकाचार के बाद दुग्धाभिषेक होगा। बाबा को फलाहार के साथ विजयायुक्त ठंडाई का भोग अर्पित किया जाएगा। व्यापारी केशव जालान काशीवासियों की ओर से सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर बाबा को तिलक चढाएंगे। तिलकोत्सव की शोभायात्रा महंत आवास पहुंचने पर डॉ.कुलपति तिवारी के सानिध्य में तिलकोत्सव की रस्म पूरी की जाएगी। महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाया जाएगा। शाम में बाबा विश्वनाथ अपने राजसी स्वरूप में दूल्हा बनकर स्वयं भक्तों को दर्शन देगें। काशीवासी परंपरागत ढंग से शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद तिलक की रस्में पूरा करेंगे।
भोलेनाथ का तिलकोत्सव मनाने की परम्परा काफी पुरानी है। डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि महादेव के तिलक की कथा राजा दक्षप्रजापति से जुड़ी है। शिवमहापुराण, ब्रह्मवैवर्तपुराण और स्कंधपुराण में अलग-अलग कथा संदर्भों में महादेव के तिलकोत्सव का प्रसंग वर्णित है। दक्षप्रजापति ने पौराणिक काल के कई मित्र राज-महाराजाओं के साथ कैलास पर्वत पर जाकर भगवान शिव का तिलक किया था। उसी आधार पर लोक में इस परंपरा इसका निर्वाह किया जाता है। काशी में इस वर्ष इस परंपरा के निर्वहन का 358वां वर्ष है। काशी में बाबा के तिलकोत्सव में शामिल होने दूर-दराज से श्रद्धालु दरबार में पहुंचते हैं। श्रद्धा और भक्ति के माहौल में निकलनेवाली बाबा की शोभायात्रा अद्भुद होती है।
क्रांति फाउंडेशन दूत न्यूज़ चैनल ब्यूरो चीफ जौनपुर प्रवीण कुमार गौतम व कैमरामैन अखिलेश उर्फ गोलू